देश

ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं, है अपना ये त्यौहार नहीं पढ़िए देशभक्ति से ओत-प्रोत कविता

ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं,है अपना ये त्यौहार नहींहै अपनी ये तो रीत नहींहै अपना ये व्यवहार नहींधरा ठिठुरती ...